राजस्थान सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन के बाद अब शहरी निकायों का पुनर्गठन करने का फैसला किया है। इस प्रक्रिया के तहत नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं की सीमाओं में बदलाव किया जाएगा। जयपुर, जोधपुर और कोटा में फिलहाल मौजूद दो-दो नगर निगमों को मिलाकर एक निगम बनाया जाएगा। वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन की यह प्रक्रिया 16 फरवरी से 15 मई तक चलेगी। इसके बाद ही निकाय चुनाव कराए जाएंगे।
बता दें कि, 16 फरवरी से 15 मई तक परिसीमन की नई प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए दो-दो नगर निगमों को फिर से एक किया जाएगा, इसमें जयपुर, जोधपुर और कोटा का नाम शामिल किया जाएगा।
जनसंख्या के आधार पर वार्डों का गठन कुछ इस प्रकार किया जाएगा - 15,000 तक की आबादी पर 20 वार्ड, 25,000 तक की आबादी पर 25 वार्ड , 40,000 तक की आबादी पर 35 वार्ड, 35 लाख तक की आबादी पर 150 वार्ड। मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मंत्रिमंडल उपसमिति की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पुनर्गठन से वार्डों की भौगोलिक स्थिति सुधरने और सफाई व्यवस्था बेहतर होने की संभावना, जिससे आम जनता को काफी सुविधा होगी. साथ ही साथ कम वार्डों और निगमों के एकीकरण से प्रशासनिक खर्चों में बड़ी कटौती होगी, जिससे बजट विकास कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा। इसके लिए प्रदेश भर में अधिकारियों और कर्मचारियों को परिसीमन प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी जाएगी।
गौरतलब है कि, राजस्थान में शहरी विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए वार्डों के पुनर्गठन की यह प्रक्रिया की जा रही है। इससे पहले 1 दिसंबर से 1 मार्च तक परिसीमन की घोषणा की गई थी, लेकिन इसे अंतिम समय में स्थगित कर दिया गया था। अब नए सिरे से इस योजना को लागू किया जा रहा है।
सरकार का मानना है कि इस पुनर्गठन से शहरी निकायों का प्रशासन अधिक प्रभावी होगा। पूर्व में कई वार्डों की भौगोलिक स्थिति अव्यवस्थित होने के कारण नगर निगमों को सुचारू रूप से चलाने में कठिनाइयां आईं। पुनर्गठन के बाद सफाई, जल आपूर्ति और अन्य नगर सेवाओं का संचालन अधिक कुशलता से किया जा सकेगा। साथ ही, प्रशासनिक लागत कम होने से सरकार को आर्थिक लाभ मिलेगा, जिसे विकास कार्यों में लगाया जा सकेगा। अब देखना यह होगा कि इस पुनर्गठन से शहरी प्रशासन और आम जनता को कितनी राहत मिलती है और इसका राजनीतिक असर आगामी निकाय चुनावों में किस तरह देखने को मिलता है।
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