लेकिन बातचीत से मनाए गए, अब सब एकजुट खड़े हैं।
हर महापंचायत में गूंजे, एकता के गीत प्यारे,
राजनीति की इस बगिया में, फिर खिलेंगे ये फुल सारे।
राजस्थान में भाजपा के टिकट बंटवारे के बाद बगावत करने वाले दिग्गज नेताओं, जैसे बबलू चौधरी और ज्ञानदेव आहूजा, ने अब चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। पार्टी में असंतोष की शुरुआत तब हुई जब सात विधानसभा सीटों में से छह पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद कई नेताओं और उनके समर्थकों ने अपना विरोध जताया। हालांकि, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की चतुर रणनीति के चलते अब यह बगावत शांत होती दिख रही है।
झुंझुनूं: बबलू चौधरी का समर्थन
झुंझुनूं से टिकट न मिलने पर नाराज निशित चौधरी उर्फ बबलू ने पहले बगावती तेवर अपनाए थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मनाने में सफलता पाई। मंत्री सुमित गोदारा ने उन्हें जयपुर बुलाया, जहां उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हुई। इस मुलाकात के बाद बबलू ने चुनाव प्रचार में भागीदारी का आश्वासन दिया, जिससे झुंझुनूं सीट पर भाजपा की स्थिति मजबूत हुई।
रामगढ़: जय आहूजा की भावुकता
रामगढ़ में, पूर्व भाजपा उम्मीदवार जय आहूजा ने टिकट न मिलने पर एक महापंचायत बुलाई। इस पंचायत में उन्होंने भावुकता से गाना गाया, "राजनीति आएगी और चली जाएगी... लेकिन तुम मुझे भुला न पाओगे।" उनकी इस भावुकता के बावजूद मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम दक ने उन्हें मनाने में सफलता पाई। इसके बाद जय आहूजा ने भी चुनाव न लड़ने का ऐलान किया, जिससे रामगढ़ में भाजपा की स्थिति बेहतर हुई। आहूजा आगे सरकार में रहकर लोगों की सेवा करेंगे।
सलूंबर: नरेंद्र मीणा का समर्थन
सलूंबर से नाराज भाजपा नेता नरेंद्र मीणा को मनाने के लिए पार्टी ने विशेष प्रयास किए। जयपुर से उन्हें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात के लिए बुलाने के लिए विशेष चार्टर प्लेन भेजा गया। इस मुलाकात के बाद मीणा ने भाजपा के उम्मीदवार को जिताने का आश्वासन दिया, जिससे सलूंबर में भी पार्टी की स्थिति मजबूत हुई। बता दे कि मंगलवार को उदयपुर भाजपा कार्यालय में बैठक हुई थी। जहां उन्होंने पार्टी को जिताने की बात कही। वहीं बैठक के बाद विधायक श्रीचंद कृपलानी ने कहा नरेंद्र मीणा भाजपा में थे और रहेंगे।
देवली-उनियारा: चुनौतियों का सामना
हालांकि, अब भी देवली-उनियारा सीट पर असंतोष का माहौल बना हुआ है, जो भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। यहां पार्टी को बागियों को शांत करने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे।
रणनीतिक कदमों की महत्ता
टिकट न मिलने से नाराज बागी नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मिलकर संभाली। उन्होंने प्रभारी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को विशेष टास्क दिया। झुंझुनूं में प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा, देवली-उनियारा में मंत्री हीरालाल नागर, और रामगढ़ में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम दक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
राजनीतिक माहौल और आगामी चुनाव
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय रहकर बागियों को मनाने और पार्टी में एकजुटता बनाए रखने में सफल रहा है। देवली-उनियारा जैसी चुनौतियों के बावजूद, पार्टी की यह रणनीति आगामी उपचुनावों में उनकी जीत की संभावना को मजबूत कर सकती है।
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