झुंझुनूं: बबलू चौधरी की वापसी
झुंझुनूं से टिकट न मिलने पर नाराज निशित चौधरी उर्फ बबलू ने पहले बगावती तेवर अपनाए थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मनाने में कामयाबी हासिल की। मंत्री सुमित गोदारा उन्हें जयपुर लेकर आए, जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से उनकी मुलाकात हुई। इस बैठक के बाद बबलू चौधरी ने चुनाव प्रचार में पूरी तरह से जुटने का आश्वासन दिया और कहा कि वे पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। उनकी वापसी से झुंझुनूं सीट पर भाजपा की स्थिति अब मजबूत मानी जा रही है।
रामगढ़: जय आहूजा का भावुक विद्रोह
रामगढ़ से टिकट न मिलने पर पूर्व भाजपा उम्मीदवार जय आहूजा ने बगावत करते हुए एक महापंचायत बुलाई थी। इस पंचायत में उन्होंने भावुक होकर गाना गाया, "राजनीति आएगी और चली जाएगी...लेकिन तुम मुझे भुला न पाओगे।" उनका यह कदम पार्टी के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता था, लेकिन मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम कुमार दक ने पंचायत में पहुंचकर उन्हें मनाने में सफलता पाई। इसके बाद जय आहूजा ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया और पार्टी के लिए काम करने की बात कही। इससे रामगढ़ सीट पर भाजपा के लिए संकट टल गया।
सलूंबर: नरेंद्र मीणा की वापसी
सलूंबर से टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा नेता नरेंद्र मीणा को मनाने के लिए पार्टी ने विशेष प्रयास किए। जयपुर से स्पेशल चार्टर प्लेन भेजकर उन्हें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात के लिए बुलाया गया। इस मुलाकात के बाद मीणा ने घोषणा की कि वे पूरी निष्ठा के साथ भाजपा के उम्मीदवार को जिताने के लिए काम करेंगे। इससे सलूंबर में भी भाजपा के लिए स्थिति संभल गई।
देवली-उनियारा: आखिरी चिंता
हालांकि, अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती देवली-उनियारा सीट पर बागियों को शांत करना है। यहां असंतोष अभी भी गहराया हुआ है, और पार्टी को अब भी इस सीट पर संभावित विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी के रणनीतिकार इस मुद्दे को हल करने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
मदन राठौड़ का दावा
इस बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने दावा किया है कि पार्टी में कोई बगावत नहीं है और सभी बागियों को मनाने में सफलता मिली है। राठौड़ ने कहा, "हम सातों सीटों पर मजबूत स्थिति में हैं और एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। निश्चित रूप से सातों सीटों पर भाजपा का कमल खिलेगा।"
काम आई मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की रणनीति
टिकट न मिलने से नाराज बागी नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मिलकर संभाली। उन्होंने सुनिश्चित किया कि सभी सीटों पर कोई भी बागी न रहे, इसके लिए प्रभारी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को विशेष टास्क दिया गया।
झुंझुनूं में प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा, देवली-उनियारा में मंत्री हीरालाल नागर, और रामगढ़ में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम दक को ये जिम्मेदारियां सौंपी गई। वहीं, सलूंबर से नाराज नरेंद्र मीणा को मनाने के लिए श्रीचंद कृपलानी और उदयलाल डांगी को भी जिम्मेदारी दी गई। इसके अलावा, कुछ वरिष्ठ नेताओं को पर्दे के पीछे से बागियों को मनाने का काम सौंपा गया।
राजनीतिक माहौल और पार्टी की रणनीति
इस घटनाक्रम से साफ है कि टिकट बंटवारे के बाद भले ही असंतोष की लहर उठी हो, लेकिन भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय रहकर बागियों को मनाने और पार्टी में एकजुटता बनाए रखने में सफल रहा है। हालांकि देवली-उनियारा जैसे कुछ क्षेत्रों में अब भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन पार्टी की यह रणनीति आगामी चुनावों में उनकी जीत की संभावना को मजबूत करती है।
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