पूर्व Soldier’s की चुनावी एंट्री,क्या BJP-Congress को होगा नुकसान?

 दौसा विधानसभा उपचुनाव सहित राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले ही राजस्थान में भूतपूर्व सैनिको ने चुनावी मैदान मे आने की ताल ठोक दी है। आखिर क्यों सैनिकों को राजनीति के मौदान में उतरना पड़ा। इस पर भी सवाल कई खड़े हो रहे है। आखिर क्यों भाजपा-कांग्रेस सरकार अपने किए वादे पूरी नहीं कर सकी। भुतपूर्व सैनिक 1100 किमी की यात्रा तय कर सिकंदरा पहुंचे थे। सैनिको ने बताया हम भाजपा-कांग्रेस दोनों सरकारों में कई मंत्रियों से मिल चुके लेकिन हमसे केवल वादे किए गए लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया। चलिए अब जानते है आखिर भूतपूर्व सैनिकों की मांग क्या है। उनका कहना है कि सैनिकों के लिए 1988 से सैनिक पुर्नवास योजना चल रही थी। जिसे राजस्थान सरकार ने अमेंटमेंट कर दिया। जबकी देश के किसी और राज्य ने इसे अमेंटमेंट नहीं किया। हमारी सरकार से मांग यही है कि जो योजना 1988 से चल रही थी उसे वैसे ही वापस चलाया जाना चाहिए। जिससे सैनिकों का भला हो सके और रिटायरमेंट के बाद भी सैनिकों को जॉब मिल सके। खैर दोनों सरकारों में काफी लंबी दूरी सैनिकों ने तय कर ली। लेकिन किसी भी शासन में उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके चलते अब भूतपूर्व सैनिकों ने सातों सीटों पर अपने उम्मीदवार निर्दलीय उतारने की सोच रहे है। अगर सातों सीटों पर उम्मीदवार खड़े होते है। तो कहीं ना कही कांग्रेस और भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको क्या लगता है इसका नुकसान दोनों पार्टीयों को उठाना पड़ेगा। कमेंट बॉक्स में हमें जरुर बताएं। 


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