Durg Singh ने बदला पाला, अब khinvsar का बदलेगा गणित ?

डिस्क्रिप्शन - खींवसर विधानसभा उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी, भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच दिलचस्प मुकाबला (competition) देखने को मिल रहा है। भाजपा ने पूर्व कांग्रेस नेता दुर्ग सिंह चौहान को शामिल कर अपनी स्थिति (position) को मजबूत किया है, जबकि कांग्रेस ने भाजपा के पूर्व आईपीएस (IPS) सवाई सिंह गोदारा को उम्मीदवार (candidate) बनाया है। यह चुनाव केवल खींवसर की राजनीति (politics) को नहीं, बल्कि राजस्थान की सियासत (political landscape) को भी प्रभावित कर सकता है। सभी की निगाहें इस महत्वपूर्ण चुनाव (important election) पर टिकी हैं।

राजस्थान की राजनीति में हलचल के बीच, सभी की नजरें खींवसर विधानसभा की उपचुनाव पर टिकी हुई हैं। यह सीट हनुमान बेनीवाल की मजबूत स्थिति मानी जाती है, लेकिन इस बार सियासी समीकरण उलझ गए हैं। यहाँ आरएलपी के उम्मीदवार के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में हैं।

हाल ही में, कांग्रेस ने खींवसर में भाजपा के पूर्व नेता और आईपीएस सवाई सिंह गोदारा को अपने दल में शामिल कर लिया, जिससे उन्हें इस सीट का टिकट दिया गया। इस रणनीति से हनुमान बेनीवाल थोड़े बौखलाए हुए दिखाई दिए हैं।

इसी बीच, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए खींवसर की चुनावी लड़ाई को और भी दिलचस्प बना दिया है। उन्होंने कांग्रेस के प्रभावशाली नेता दुर्ग सिंह चौहान को अपने साथ जोड़ लिया। शुक्रवार को सीएम भजनलाल शर्मा की बैठक के बाद, दुर्ग सिंह चौहान ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया।

दुर्ग सिंह चौहान के भाजपा में शामिल होने के साथ ही सैकड़ों प्रमुख लोग भी उनके साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। जयपुर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की उपस्थिति में दुर्ग सिंह का स्वागत किया गया, और इस घटना को कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

ज्ञात रहे कि दुर्ग सिंह चौहान खींवसर से कांग्रेस के टिकट के लिए मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। उन्होंने हाल ही में कहा था कि अगर पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता खुद को जवाब देगी। खींवसर विधानसभा गठन के बाद से कांग्रेस का पंचायत समिति, जिला परिषद और विधानसभा सीट पर खाता नहीं खुला है। दुर्ग सिंह चौहान के भाजपा में शामिल होने से खींवसर में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होगी, और इसका प्रभाव उपचुनाव के परिणामों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल सकता है।

खींवसर की उपचुनाव की ये घटनाएँ न केवल क्षेत्र की राजनीतिक दिशा निर्धारित करेंगी, बल्कि राजस्थान की राजनीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। सभी की नजरें अब इस चुनावी संग्राम पर रहेंगी, जहाँ हर एक वोट की अहमियत होगी। दुर्ग सिंह के इस खेल से क्या कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको क्या लगता है कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें जरुर बताएं. वीडियो को लाइक करें शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब जरुर करें|

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