जानिए, कैसे और कब हुई थी इसकी शुरुआत ?
देश इस समय नवरात्रि की जश्न में डूबा हुआ है....देशभर सहित राजस्थान में भी इन दिनों नवरात्र की धूम ने माता के श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डूबो रखा है....नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं....साथ ही शक्ति के इन स्वरूपों का उत्सव भी मनाते हैं....इस त्योहार से एक जुड़ी एक और चीज है, जो लोगों के मन को उत्साह और उमंग से भर देती है...दरअसल, नवरात्र का नाम सुनते ही सबसे पहले मन में गरबा और डांडिया का ख्याल आता है...लिहाजा, नवरात्रि का त्योहार हो और गरबा का जिक्र न हो...ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता...तो दोस्तों आइए शारदीय नवरात्र के मौके पर जानते हैं क्या है गरबे और डांडिया का इतिहास और इसका महत्व...
बता दें कि नवरात्रि और गरबा-डांडिया का एक-दूसरे से गहरा रिश्ता बताया जाता है....हममें से कई लोगों को गरबा काफी पसंद होता है....लेकिन बेहद कम लोग ही इसके इतिहास के बारे में जानते हैं....नवरात्र के मौके पर हम आपको बताएंगे गरबा से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में....जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा....
नवरात्रि में गरबा और डांडिया का क्या है महत्व ?
तो सबसे पहले बात करते हैं गरबा की....इसका शाब्दिक अर्थ होता है 'गर्भ' या 'अंदर का दीपक'...इसे देवी की पूजा अर्चना का प्रतीक माना जाता है...आपको बता दें कि नवरात्रि के पर्व में मिट्टी के मटके में दीप प्रज्वलित करते हैं, जिसे 'गरबी' कहते हैं....इस मटके को मां दुर्गा की शक्ति और ऊर्जा का रूप मान जाता है....इसके चारों तरफ घेरा बनाकर लोग नृत्य करते हैं...जो जीवन चक्र और शक्ति को दर्शाता है...बताया जाता है कि गरबा नृत्य मां के लोकप्रिय गीतों पर किया जाता है....तो वहीं डांडिया की बात की जाए तो डांडिया को देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुई लड़ाई का प्रतीक माना जाता है....डांडिया में इस्तेमाल की जाने वाली छड़ी को मां दुर्गा की तलवार कहते हैं, जो बुराई का विनाशक प्रतीक है....
वहीं क्या कभी आपने गरबा डांस का दूसरा नाम सुना है....नहीं ना तो चलिए हम आपको बताते है कि गरबा जिसे गरबो के नाम से भी जाना जाता है, प्रजनन क्षमता (Fertility) का जश्न मनाता है और नारीत्व (Womanhood) का सम्मान करता है...बात करें इसके नाम की, तो इस नृत्य का नाम "गरबा" संस्कृत शब्द गर्भ से लिया गया है.....
वहीं अगर गरबा और डांडिया की शुरुआत की बात की जाए तो इनकी गुजरात से हुई थी....इन दोनों नृत्यों का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है...मान्यताओं के अनुसार गरबा की परंपरा कम से कम 15वीं शताब्दी से चली आ रही है....
गरबा की शुरुआत गुजरात के गांवों से हुई थी...शुरुआत में, गरबा देवी के पास रखे सछिद्र घट में दीपक ले जाने के क्रम में किया जाता था...लेकिन अब गरबा नृत्य दुनिया का सबसे बड़ा और लंबा नृत्य उत्सव माना जाता है...हालांकि गरबा, मां दुर्गा की अराधना, आस्था, और विश्वास का प्रतीक है....तो वहीं डांडिया की शुरुआत से जुड़ी मान्यताओं की बात की जाएं तो डांडिया रास नृत्य, देवी दुर्गा के सम्मान में किया जाता है....बता दें कि डांडिया रास नृत्य, भक्ति गरबा नृत्य से ही बना है...
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