अब अपना इस्तीफा वापस ले लेंगे किरोड़ीलाल?
राजस्थान में सात सीटों पर होने वाले उपचुनावों के लिए सियासी जाजम बिछाई जा चुकी है। बीजेपी ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है।
इस लिस्ट में दौसा से भारतीय जनता पार्टी ने किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया है। आने के बाद सूबे का सियासी पारा हाई हो गया है। एक तरफ किरोड़ी लाल मीणा समर्थकों में जहां इस नाम से ख़ुशी है तो वहीं दूसरी ओर एक तबका ऐसा भी है, जो इसे लोकसभा चुनाव में परिणाम मनमाफिक नहीं मिलने के बाद किरोड़ी लाल मीणा द्वारा दिए गए मंत्री पद से इस्तीफे का असर मान रहे है। यानी कुछ लोगों का कहना है कि आख़िरकार किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा दांव काम कर गया और मीणा अपने भाई को टिकट दिलवा ही गए। वहीं कुछ लोग इसे 'भाई-भतीजावाद' कहकर जमकर आलोचना भी कर रहे है। राजस्थान कांग्रेस ने भी अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर किरोड़ीलाल मीणा पर निशाना साधा है। पीसीसी की ओर से इस पोस्ट में लिखा गया है कि ‘विरोध और इस्तीफा भी एक कला, भाई का टिकट था असली मसला, मंत्रीजी की भवानी जाग गई, मतलब अब मंत्री जी मंत्री ही रहेंगे’। सोशल मीडिया पर कुछ लोग तो यह भी कह रहे है कि भाजपा ने उपचुनाव में टिकट बंटवारे में कई समीकरण एक साथ साध लिए हैं। और अब उम्मीद है कि ‘बाबा’ चार साल तक मुंह पर अंगुली रखे रहेंगे और सरकार सरलता से चलती रहेगी। जगमोहन लाल मीणा को टिकट मिलने के बाद कई लोग इससे ख़ासा नाखुश भी नजर आ रहे हैं। बीजेपी द्वारा जगमोहन को टिकट दिए जाने के बाद भाई-भतीजावाद के आरोप भी लग रहे है। आप देखिए कि सबसे पहले तो किरोड़ी लाल मीणा खुद सवाई माधोपुर से विधायक है और भजनलाल सरकार में मंत्री भी। उनकी पत्नी गोलमा देवी भी विधायक रह चुकी है। किरोड़ी लाल मीणा के भतीजे राजेंद्र मीना महुवा से विधायक है और अब भाई जगमोहन को दौसा से टिकट मिल गया है। बीजेपी जो हमेशा कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगाती आई है, अब उस पर भी भाई-भतीजावाद के आरोपों की उंगलिया उठने लगी है। क्योंकि यदि जगमोहन मीणा चुनाव जीत जाते हैं तो किरोड़ी लाल मीणा के परिवार से तीन-तीन विधायक होंगे। बता दें कि जगमोहन मीणा एक रिटायर्ड RAS अधिकारी हैं, इन्होंने 2009 में अपनी सेवा से VRS लिया था और राजनीति में आ गए. ये कभी खुलकर सामने नहीं आए थे, हमेशा ही पर्दे के पीछे से काम किया था. जानकारी के अनुसार, जगमोहन ने लोकसभा चुनाव में भी दौसा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन बीजेपी ने उस समय इनके उपर भरोसा नहीं दिखाया और कन्हैयालाल मीना को टिकट दे दिया था. इसके बाद पार्टी को दौसा से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं अब माना ये जा रहा है कि इस बार पार्टी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी और इसलिए पार्टी ने जगमोहन को टिकट दे दिया, क्योंकि दौसा को किरोड़ी लाल मीना का गढ़ माना जाता है. साथ ही हाल ही में किरोड़ी लाल ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी मोहन दास से भी मुलाकात की थी. वहीं कांग्रेस ने अभी किसी को टिकट नहीं दिया है. दौसा सीट की गिनती राजस्थान की हॉट सीटों में होती है. लोकसभा चुनाव में भी यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया था. साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी कई दौरे किये थे, लेकिन इस सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था और सीट से कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा सांसद बन गए थे। खैर अब देखना यही है कि उपचुनाव में कांग्रेस जगमोहन मीणा के सामने किस प्रत्याशी को मैदान में उतारती है। मगर इसके साथ ही सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या अब किरोड़ी लाल मीणा अपने इस्तीफा वापस ले लेंगे। यदि किरोड़ी लाल मीणा ने वाकई अपने इस्तीफा अब वपस ले लिया तो सूबे में बवाल मचना तय है।
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