दौसा में बढ़ी किरोड़ी-जगमोहन की मुश्किलें!

दौसा में बढ़ी किरोड़ी-जगमोहन की मुश्किलें!
विप्र सेना ने कर दिया ये बड़ा ऐलान
दौसा उपचुनाव के लिए किरोड़ी लाल मीना के भाई जगमोहन मीना को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भाजपा में माहौल बदला-बदला सा नजर आ रहा है। कई नेताओं ने चुप्पी साध ली है तो कुछ नेता जगमोहन मीना के साथ लग गए हैं। वहीं, इस सीट पर भाजपा का टिकट घोषित होने के बाद किरोड़ी मीना पर परिवारवाद के आरोप भी लग रहे है। साथ ही एक तबका ऐसा भी है, जो दौसा से जगमोहन मीणा को टिकट मिलने के बाद से काफी आक्रोशित है। दरअसल दौसा एक जनरल सीट मानी जाती है। इस सीट पर बीजेपी पहले भी समान्य वर्ग से कैंडिडेट उतार चुकी है। ऐसे में इस बार भी विप्र महासभा ने मांग उठाई थी कि दौसा में किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाना चाहिए। मगर ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी ने एसटी वर्ग से आने वाले जगमोहन मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में अब विप्र सेना के प्रमुख सुनील तिवारी का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि दौसा विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में समाज की अनदेखी से मैं आहत हूं। उन्होंने ये भी कहा है कि हमने विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को जितवाया, मगर इस बार हमारी अनदेखी को भुलाया नहीं जाएगा। 

बाईट- सुनील तिवाड़ी, विप्र सेना प्रमुख  

विप्र सेना के इस ऐलान के बाद अब कहा जा रहा है कि दौसा में इस बार बीजेपी के लिए मुश्किलें ज़रा बढ़ गई है। दौसा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर कभी भारतीय जनता पार्टी की पकड़ हुआ करती थी. अब कांग्रेस को यहां पर जीत मिली है. 1990 से लेकर अब तक हुए 7 चुनाव में 4 बार बीजेपी को जीत मिली तो एक-एक बार कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय को जीत मिली. इसके साथ ही आपको बता दें कि 1990 और 1993 में बीजेपी के जियालाल बंशीवाल ने जीत हासिल की. फिर 1998 में निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली. 2003 में नंद लाल बंशीवाल ने बीजेपी के लिए एक और जीत हासिल की. 2008 में बहुजन समाज पार्टी के मुरारी लाल मीणा को यहां से जीत मिली. लेकिन 2013 में यहां पर चुनाव का खेल बदल गया. बीजेपी के शंकर लाल शर्मा के खाते में जीत चली गई. 2018 में बसपा के पूर्व विधायक मुरारी लाल मीणा कांग्रेस में आ गए और उन्होंने इस बार शंकर लाल शर्मा को हराकर फिर से चुनाव में जीत हासिल की. पिछले 3 चुनाव से यहां पर किसी भी दल ने लगातार 2 बार जीत हासिल नहीं की है. 3 चुनाव में 3 अलग-अलग दलों को जीत मिली है. यानि इतिहास देखा जाए तो इस सीट पर समय समय पर ब्राह्मण उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है।

Post a Comment

0 Comments

ARwebTrack