KanhaiyaLal Murder Case : एनआईए को लगा करारा झटका, आरोपी को मिली जमानत


 

उदयपुर / जयपुर ।  05 सितंबर ।  विशेष संवाददाता । 

झीलों की नगरी उदयपुर में हुआ कन्हैयालाल हत्याकांड कौन भूल सकता है, टेलरिंग का काम कर रहे कन्हैयालाल को उन्हीं की दुकान पर निर्ममता से गला रेत कर जिस तरह से मारा गया, पूरे देश में लोग सिंहर उठे थे. उस वक्त कानून-व्यवस्था की बिगड़ी स्थितियों ने साम्प्रदायिकता का उन्माद भी फैला था. इस मामले में राजस्थान सरकार की शुरुआती जांच के दौरान ही एनआईए की इस केस में एंट्री हो गई थी और तब से से मामला एनआईए ही देख रहा था. जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ में इस मामले में एक आरोपी मोहम्मद जावेद की जमानत अर्जी आई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आरोपी जावेद को जमानत दे दी. 


लोकेशन मिली नहीं, इसीलिए मिली जमानत : 

अदालत में मामला सामने आया कि NIA ने केवल कॉल डिटेल के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया था. लेकिन अदालत में एआईए, आरोपी की लोकेशन साबित नहीं कर पाई. इसके अलावा आरोपी के पास से किसी तरह की बरामदगी नहीं हुई. कोर्ट ने माना कि वो लंबे समय से जेल में है और इस केस में लंबे समय तक ट्रायत चलेगी. इसीलिए उसे जमानत दे दी गई. दरअसल, कन्हैयालाल मर्डर केस में, 11 आरोपियों में से जावेद पर मोहम्मद रियाज अत्तारी के साथ मिलकर योजना बनाने का आरोप है. एनआईए कोर्ट से 31 अगस्त 2023 को जमानत खारिज होने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।


आरोपी के वकील ने कहा- ‘जावेद कभी कन्हैया की दुकान पर गया ही नहीं’ हाईकोर्ट में जमानत पर बहस करते हुए जावेद के वकील सैयद सआदत अली ने कहा- एनआईए कह रही है कि जावेद ने इंडियाना टी-स्टॉल पर बैठकर कन्हैयालाल की हत्या की योजना बनाई थी, लेकिन टी-स्टॉल के मालिक धर्मेंद्र साहू ने जावेद के उस दिन वहां आने की बात कन्फर्म ही नहीं की। एनआईए का यह भी कहना है कि जावेद ने कन्हैयालाल की रेकी करके रियाज को बताया था, लेकिन दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से यह बात साबित होती है कि जावेद कन्हैयालाल की दुकान पर गया ही नहीं। सैयद सआदत अली ने कहा- NIA के अनुसार रियाज (मुख्य आरोपी) के पास जावेद का कॉल आया था, जबकि जावेद ने कभी रियाज को कॉल किया ही नहीं। उसके मोबाइल में रियाज का नंबर भी सेव नहीं था। वह चूड़े की दुकान पर सेल्समैन का काम करता था। दिनभर उसे ग्राहकों के फोन आते थे। एनआईए की ओर से वकील टीपी शर्मा ने अदालत में बहस करते हुए कहा कि कन्हैयालाल हत्याकांड में शामिल सभी आरोपी एक-दूसरे को जानते हैं। इन सभी ने मिलकर कन्हैयालाल हत्याकांड की साजिश की थी।

आरोपियों की कॉल डिटेल से साबित होता है कि सभी एक-दूसरे से फोन के जरिए संपर्क पर थे। उन्होंने कहा- हमारे गवाह जीशान ने भी कन्फर्म किया है कि घटना से पहले रियाज और जावेद टी-स्टॉल पर मिले थे। इसके साथ ही आरोपी ने भी अपने स्टेटमेंट में इस बात को स्वीकार किया है। इस पर कोर्ट ने एनआईए द्वारा लिए गए स्टेटमेंट को लेकर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा- एनआईए ने सारे स्टेटमेंट अंग्रेजी में लिखे हैं। आरोपी ने जिस भाषा में स्टेटमेंट दिए, उस भाषा में उसे क्यों नहीं लिखा गया। फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला को एनआईए कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है। फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला को एनआईए कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है। मोहम्मद जावेद से पहले इस मामले में एक अन्य आरोपी फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला को एनआईए कोर्ट ने 1 सितंबर 2023 को जमानत दी थी। फरहाद पर एनआईए ने आर्म्स एक्ट का मामला दर्ज किया था। जमानत देते समय कोर्ट ने कहा था कि आरोपी पर केवल आर्म्स एक्ट का आरोप है। उसके पास से तलवार बरामद हुई है या नहीं, तलवार भोंटी थी या धारदार। इसका फैसला जमानत के स्तर पर नहीं किया जा सकता है। 


आरोपी जुलाई 2022 से जेल में है, ऐसे में उसे जमानत का लाभ दिया जाता है। बता दें कि 28 जून 2022 को कन्हैयालाल की मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने निर्मम तरीके से गला काटकर हत्या कर दी थी। कन्हैयालाल की हत्या के मामले में एनआईए ने पाकिस्तान के कराची निवासी सलमान और अबू इब्राहिम को फरार बताते हुए मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अत्तारी सहित 11 आरोपियों मोहसिन, आसिफ, मोहम्मद मोहसिन, वसीम अली, फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बबला, मोहम्मद जावेद, मुस्लिम मोहम्मद के खिलाफ चालान पेश किया था। 


ये लगाई गई हैं धाराएं 


एनआईए की विशेष अदालत ने 9 फरवरी 2023 को हत्या,आतंकी गतिविधियों, आपराधिक षड्यंत्र सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और आर्म्स एक्ट में प्रसंज्ञान लिया था . कन्हैयालाल हत्याकांड, जो 28 जून 2022 को उदयपुर, राजस्थान में हुआ, ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस भीषण हत्या ने न केवल साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ाया बल्कि राजस्थान और भारत की कानून-व्यवस्था को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए।  NIA की एंट्री घटना के साम्प्रदायिक पहलुओं और इसके संभावित अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों को देखते हुए, 29 जून को ही यह मामला NIA को सौंप दिया गया। सरकार ने इसे आतंकवादी कृत्य घोषित किया और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया। . जुलाई 2022: आरोपियों पर आरोप तय जुलाई 2022 में NIA ने घटना की जांच शुरू की और मुख्य आरोपियों सहित 11 अन्य व्यक्तियों पर हत्या और आतंकवादी गतिविधियों का आरोप तय किया। मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद के साथ कई अन्य आरोपियों को साजिशकर्ता बताया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि हत्यारे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से जुड़े हुए थे। .फरवरी 2023: NIA की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल NIA ने फरवरी 2023 में मामले की जांच पूरी करते हुए विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में मुख्य आरोपियों के साथ-साथ अन्य 11 लोगों पर हत्या, आपराधिक साजिश, आतंकवादी गतिविधियों और UAPA के तहत आरोप लगाए गए। चार्जशीट में पाकिस्तान के कराची निवासी सलमान और अबू इब्राहिम को भी मामले का फरार आरोपी बताया गया। 





कन्हैयालाल मर्डर केस : क्या हुआ, कैसे हुआ, जानिए पूरा घटनाक्रम : 

कन्हैयालाल, जो एक टेलरिंग की दुकान चलाते थे, की निर्ममता से गला रेतकर हत्या की गई थी। हत्या के बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ, जिसमें हत्यारे खुद इस कृत्य का दावा करते हुए देखे गए थे। इस घटना ने पूरे भारत में गुस्से की लहर दौड़ा दी थी, और सरकार ने तुरंत कदम उठाते हुए मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के हवाले कर दिया था। कन्हैयालाल मर्डर केस टाइम लाइन. 28 जून 2022: हत्या और वीडियो का वायरल होना उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दुकान में घुसकर दो व्यक्तियों, मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने गला रेतकर हत्या कर दी।



हत्या के बाद वीडियो हुआ वायरल : 

हत्या के तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया जिसमें इस हत्या को धार्मिक आस्थाओं से जोड़ते हुए इसे न्यायोचित ठहराया। इस वीडियो के वायरल होते ही पूरे देश में दहशत फैल गई, और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने लगा। . 29 जून 2022: आरोपियों की गिरफ्तारी घटना के एक दिन बाद, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर दी।



किस आधार पर मिली जावेद को जमानत  :

मोहम्मद जावेद की जमानत: वर्तमान घटनाक्रम मोहम्मद जावेद, जो इस हत्याकांड में एक प्रमुख आरोपी था, ने NIA कोर्ट से जमानत की अर्जी लगाई थी। लेकिन 31 अगस्त 2023 को NIA कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद, जावेद ने राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की। .सितंबर 2023: जमानत मंजूर राजस्थान हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2023 को जावेद की जमानत मंजूर कर दी। जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने पाया कि NIA के पास जावेद की मौके पर मौजूदगी के कोई ठोस सबूत नहीं थे। NIA द्वारा प्रस्तुत किए गए कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर केवल संदेह व्यक्त किया गया था, लेकिन जावेद की लोकेशन की पुष्टि नहीं हो पाई थी। 


इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि आरोपी जावेद पिछले लंबे समय से जेल में बंद था और ट्रायल में अभी और समय लगेगा. NIA के तर्क और कोर्ट की टिप्पणी NIA ने अपने तर्क में कहा कि जावेद ने मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी के साथ हत्या की योजना बनाई थी और उसके साथ लगातार संपर्क में था। लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो पाया कि जावेद मौके पर मौजूद था। जावेद के वकील ने यह भी तर्क दिया कि जावेद ने कभी रियाज को फोन नहीं किया था और उसके पास से कोई ठोस सबूत भी बरामद नहीं हुआ। इसके अलावा, जावेद के मोबाइल फोन में रियाज का नंबर भी सेव नहीं था।


फरहाद को भी मिल चुकी है जमानत :  

कोर्ट ने NIA की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, खासकर जब यह सामने आया कि आरोपी के बयान अंग्रेजी में दर्ज किए गए थे, जबकि उसने स्थानीय भाषा में बयान दिए थे। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि बयान जिस भाषा में दिए गए थे, उसी भाषा में दर्ज होने चाहिए थे। .अन्य आरोपियों की जमानत इससे पहले, एक अन्य आरोपी फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला को भी 1 सितंबर 2023 को जमानत मिल चुकी थी। फरहाद पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज था, और कोर्ट ने यह माना कि तलवार बरामदगी के मामलों में जमानत के स्तर पर फैसला नहीं किया जा सकता। 


                                                                                             
                                                                                              


   इस केस में अब आगे क्या ?  


कन्हैयालाल हत्याकांड ने भारतीय समाज और न्याय प्रणाली के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। इस केस में धार्मिक उन्माद, आतंकवादी साजिश, और सामाजिक सौहार्द को चुनौती दी गई। राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए इस मामले की जांच NIA को सौंपी, जिससे देश में एक सख्त संदेश गया कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । हालांकि, जावेद और फरहाद जैसे आरोपियों को जमानत मिलने से NIA की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं। आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूतों का अभाव और जांच में खामियां न्याय प्रणाली को प्रभावित करती हैं। कन्हैयालाल हत्याकांड का समयरेखा और वर्तमान घटनाक्रम यह बताता है कि न्यायिक प्रक्रिया में सबूतों की मजबूती कितनी महत्वपूर्ण होती है। 


इस केस ने भारतीय समाज और कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था। अब यह देखना बाकी है कि इस केस में आगे क्या होता है, और क्या सभी दोषियों को उनके अपराध की सजा मिलती है।

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