निर्दलीय बिगाड़ रहे दोनों ही पार्टियों के समीकरण
. आलाकमान ने प्रमुख नेताओं को दिए टास्क
. असन्तुष्ट धड़े के भी संपर्क में रहने के निर्देश
विशेष संवाददाता
जयपुर ,17 नवंबर । राजस्थान चुनावों में इस बार निर्दलीय बड़ी भूमिका निभाने दिख रहे हैं. ऐसा पहले भी होता रहा है कि निर्दलीय चुनाव में खड़े होते हैं लेकिन इस बार जो लोग चुनावों में बागी होकर खड़े हैं या फिर टिकट न मिलने से नाराज़ हैं. उन्होनें दरअसल, बहुत पहले से अपनी बारी की तैयारी कर रखी थी. पार्टियों को इस बात का अहसास था, इसीलिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इस बार अपनी सूचियां ऐनवक्त तक रोके रखी. नामांकन के आखिरी दिन तक कांग्रेस और बीजेपी टिकट बांटते रहे. उधर, बाग़ियों ने अपनी तैयारी इस रूप में पूरी कर ली कि राजस्थान की दो सौ में से दोनों ही दलों में करीब 40 सीटों पर बाग़ी या असंन्तुष्ट अपनी भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि बगावत को लेकर कांग्रेस की तुलना में भाजपा इस बार ज्यादा आहत है । फिर भी कांग्रेस ने प्रदेश के आला नेताओं को उन लोगों को अपने पक्ष में चुनावी मैदान से बिठाने की तैयारी कर ली है जो अकेले ताल ठोक रहे है या फिर चुनावी समर में उदासीन बने हुए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कांग्रेस से बागी पप्पू कुरैशी को बिठाने उनके घर चले गए. पप्पू कुरैशी, आम आदमी पार्टी से हवामहल से टिकट के दावेदार थे, लेकिन टिकट आर.आर.तिवाड़ी को दिए जाने के बाद से वो आम आदमी पार्टी में शामिल होकर वहां से अधिकृत प्रत्याशी हो गए. यही स्थिति उमरदराज की है जो कि आदर्शनगर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी बन गए हैं मगर पुराने कांग्रेसी होने के नाते कांग्रेस के आला नेता उनसे संपर्क करने में लगे हैं. चुनाव आखिरी दिन तक इस तरह का दौर चलेगा. उधर टोंक में सचिन पायलट भी बसपा व अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों को बिठाने की जुगत में लगे हैं.
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