जोधपुर AIIMS को बम से उड़ाने की धमकी! राजस्थान में क्यों बढ़ रहा फर्जी बम धमकियों का ट्रेंड ?

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राजस्थान में हाल के वर्षों में फर्जी बम धमकियों के मामलों में लगातार इजाफा देखा गया है। कभी एयरपोर्ट, कभी स्कूल तो कभी सरकारी इमारतें—हर धमकी से राज्यभर में दहशत फैल जाती है और सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट रहना पड़ता है। हाल ही में, जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। हालांकि, जांच के बाद यह धमकी फर्जी साबित हुई, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर राजस्थान में ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं और कानून इन मामलों में दोषियों को क्या सजा दे रहा है?

राजस्थान में फर्जी बम धमकियों के प्रमुख मामले

जयपुर एयरपोर्ट बम धमकी (2024)

अप्रैल 2024 में जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को तीन दिनों में दो बार बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत तलाशी अभियान चलाया, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।

जयपुर के स्कूलों को बम धमकी (2024)

मई 2024 में जयपुर में 2008 के सीरियल ब्लास्ट की बरसी पर अज्ञात ईमेल के जरिए स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इससे छात्रों और अभिभावकों में डर का माहौल बन गया था। बाद में यह मेल फर्जी निकला।

जयपुर पुलिस मुख्यालय पर धमकी (2024)

गणतंत्र दिवस के दिन जयपुर पुलिस मुख्यालय को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर यह धमकी दी गई थी। बाद में जांच में यह फर्जी साबित हुई।

रेलवे स्टेशनों को उड़ाने की धमकी (2024)

राजस्थान के कई रेलवे स्टेशनों—जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अलवर, गंगानगर, हनुमानगढ़, बूंदी और उदयपुर—को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इसके साथ ही महाकाल मंदिर, उज्जैन और जयपुर के धार्मिक स्थलों पर भी धमाके की धमकी दी गई थी।

फर्जी बम धमकियों से होने वाले नुकसान

फर्जी बम धमकियों का सबसे बड़ा प्रभाव सुरक्षा एजेंसियों की कार्यक्षमता पर पड़ता है। हर धमकी के बाद पुलिस, बम निरोधक दस्ता और अन्य सुरक्षा बलों को सक्रिय रहना पड़ता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी होती है। इन घटनाओं से आम जनता में डर का माहौल बनता है और स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तरों जैसी जगहों पर अफरातफरी मच जाती है।

क्या फर्जी बम धमकी देने वालों को सजा मिलती है?

भारतीय कानून के तहत फर्जी बम धमकी देना एक गंभीर अपराध है।

- आईपीसी धारा 505(2) - झूठी अफवाहें फैलाने पर तीन से पांच साल तक की सजा और जुर्माना।

- आईपीसी धारा 507 - गुमनाम रूप से धमकी देने पर दो साल तक की सजा।

- आईटी एक्ट 2000 की धारा 66A और 66D - फर्जी ईमेल या मैसेज भेजने पर कड़ी कार्रवाई।

हालांकि, धमकी देने वाले अक्सर वीपीएन और अन्य साइबर ट्रिक्स का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल होता है। लेकिन राजस्थान पुलिस की साइबर सेल लगातार ऐसे मामलों की गहन जांच कर रही है और कई मामलों में दोषियों को गिरफ्तार भी किया गया है।

फर्जी धमकियों को रोकने के उपाय

- साइबर मॉनिटरिंग को मजबूत करना: पुलिस को अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर तुरंत जांच करनी चाहिए।

- सख्त कानूनी कार्रवाई: दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि ऐसे मामलों में कमी आए।

- जनता को जागरूक करना: लोगों को समझाना जरूरी है कि झूठी धमकियां देना एक गंभीर अपराध है।

- स्पेशल टास्क फोर्स: ऐसे मामलों की निगरानी और कार्रवाई के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन होना चाहिए।

राजस्थान में फर्जी बम धमकियों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती हैं, बल्कि आम जनता में भी भय का माहौल बना रही हैं। सरकार और पुलिस को इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।

आपको क्या लगता है सरकार और प्रशासन को इन फर्जी धमकियों पर लगाम लगाने के लिए क्या सख्त कदम उठाने चाहिए, हमें कमेंट करके बताएं।

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