बीजेपी के वोट शेयर में बढ़ोतरी का भरोसा
धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, भाजपा का वोट शेयर 2019 से पश्चिम बंगाल में 30-40 प्रतिशत के बीच रहा है। उनका मानना है कि यदि पार्टी को 10 प्रतिशत और वोट मिल जाते हैं तो Mamata Banerjee की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "2021 के विधानसभा चुनावों में हमने 77 सीटें जीतीं और 2024 के लोकसभा चुनावों में 12 सीटों पर जीत दर्ज की। 2026 में हम पश्चिम बंगाल में सरकार बनाएंगे। दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली सफलता यह दिखाती है कि भाजपा की नीतियां जनता में लोकप्रिय हो रही हैं।"
ममता सरकार पर केंद्र की योजनाओं में रुकावट का आरोप
प्रधान ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं को राज्य में लागू करने में बाधाएं पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, "जब मैं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री था, तब ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली 710 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन परियोजना की शुरुआत की थी। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग की कमी के कारण यह परियोजना अधूरी रह गई। दिल्ली में केंद्र की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया गया, जिससे भाजपा को वहां सफलता मिली।"
रेलवे और शिक्षा क्षेत्र में सहयोग की कमी
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि तृणमूल सरकार ने पश्चिम बंगाल में रेलवे परियोजनाओं और नवोदय विद्यालयों की स्थापना में भी अपेक्षित सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा, "रेलवे ने पश्चिम बंगाल के लिए वार्षिक बजट को यूपीए सरकार के समय के 4,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 13,995 करोड़ रुपये कर दिया है, लेकिन राज्य सरकार इसे प्रभावी ढंग से लागू करने में असफल रही है। दिल्ली में ऐसी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन ने भाजपा की छवि को और मजबूत किया है।"
शिक्षा क्षेत्र में टकराव
प्रधान ने पश्चिम बंगाल सरकार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की ड्राफ्ट गाइडलाइंस की अनुचित आलोचना करने का भी आरोप लगाया। राज्य सरकार और राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के बीच विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। प्रधान का कहना है कि राज्य सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करने से कतराती है क्योंकि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय मिलने का डर रहता है। दिल्ली में शिक्षा क्षेत्र में सुधारों ने भाजपा के प्रति विश्वास को और बढ़ाया है।
धर्मेंद्र प्रधान के इन बयानों से स्पष्ट है कि भाजपा 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी तैयारी कर रही है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली सफलता ने भाजपा के लिए एक सकारात्मक संकेत दिया है, और पार्टी इसी रणनीति के साथ पश्चिम बंगाल में भी जीत दर्ज करने का प्रयास कर रही है।

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