"वसुंधरा खुद का नाम पढ़ कर पर्ची खा जाती और सीएम बन जाती, कोई क्या कर लेता..!"!!

"वसुंधरा खुद का नाम पढ़ कर पर्ची खा जाती 
और सीएम बन जाती, कोई क्या कर लेता..!"
राजस्थान में 13 नवंबर को 7 सीटों पर उपचुनाव हैं और इन सात सीटों में सबसे हॉट सीट खींवसर विधानसभा बन चुकी है, जहां से नागौर सांसद और खींवसर से पूर्व विधायक हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल चुनावी मैदान में हैं। कनिका बेनीवाल पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ रही है और हनुमान बेनीवाल उनके लिए जमकर प्रचार-प्रसार भी कर रहे है। हनुमान बेनीवाल राजस्थान की सियासत में उन नेताओं की सूची में शामिल हैं, जिनकी भाषण शैली सीधा लोगों को कनेक्ट करती है, क्योंकि वो बिलकुल देसी भाषा में लोगों से मुखातिब होते हैं। मगर अक्सर हनुमान बेनीवाल अपने भाषणों में ऐसे बयान दे जाते है, जो बाद में विवादित बन जाते है। मंगलवार को बेनीवाल खींवसर विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस सभा में बेनीवाल ने भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री बनाने की प्रक्रिया पर चुटकी ले ली। वो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को 'पर्ची मुख्यमंत्री' कहते रहे हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों में बीजेपी की जीत के बाद जब राजधानी जयपुर में बीजेपी मुख्यालय पर विधायक दल की बैठक हुई थी, तो उसमें उनका नाम एक पर्ची में लिखा हुआ मिला था। हनुमान बेनीवाल ने इसी प्रक्रिया पर तंज कसते हुए कहा कि वसुंधरा को पर्ची राजनाथ सिंह ने दी थी, अगर वसुंधरा राजे में हिम्मत होती तो वो उसमें से खुद का नाम पढ़ देतीं और पर्ची खा जातीं. उन्होंने कहा कि कोई भी होशियार नेता होता होता तो ऐसा जरूर कर देता। गौरतलब है विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत प्राप्त होने बाद मुख्यमंत्री का चयन होना था. विधायक दल की बैठक में राजनाथ सिंह एक पर्ची लेकर पहुंचे थे. मीडिया के सामने उन्होंने वो पर्ची बगल में बैठी हुईं वसुंधरा राजे को दी थी. जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नाम लिखा हुआ था. हनुमान बेनीवाल राजनीतिक घराने से आते हैं और उनकी यह विरासत 47 साल पुरानी है. बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल दो बार विधायक रहे हैं. 1977 में रामदेव बेनीवाल ने मुंडावा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता और बाद में 1985 में वो लोकदल से विधायक रहे. 2008 में परिसीमन के बाद इस सीट को खींवसर विधानसभा सीट बना दिया गया और बेनीवाल भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत कर पहले बार विधानसभा पहुंचे थे.

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