हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव के बाद इलेक्शन कमीशन इस सप्ताह महाराष्ट्र और झारखंड के साथ देशभर में खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर सकता है। इसमें राजस्थान की 7 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं।प्रदेश में अभी तक उपचुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है। हरियाणा चुनाव के परिणाम से पहले तक बीजेपी की राह मुश्किल दिख रही थी। लेकिन, अब हरियाणा में जीत के बाद पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ नजर आ रहा है।प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को लेकर भी बीजेपी आगे चल रही है। पार्टी ने हर सीट पर 3 से 5 प्रत्याशियों का पैनल तैयार करके केंद्रीय नेतृत्व को भिजवा दिया है। वहीं, कांग्रेस भी हर सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर रायशुमारी कर चुकी है।तो आज हम बात करने वाले है राजस्थान में होने वाले सात सीटों पर उपचुनाव को लेकर। हॉट सीट्स में शुमार खींवसर विधानसभा सीट को लेकर। नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट के उपचुनाव की सबसे ज्यादा चर्चा है। यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। अभी तक कांग्रेस ने यहां आरएलपी से गठबंधन के कोई संकेत नहीं दिए हैं। यह सीट खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। अब इस सीट से कौन उम्मीदवार होगा इसपर सबकी नज़र टिकी हुई है ,भाजपा के संभावित उम्मीदवार को लेकर यदि बात की जाए तो इसमें रेवंतराम डांगा ,ज्योति मिर्धा और हापुराम चौधरी का नाम सामने आ रहा है , यानी की भजपा इनमें से किसी एक को मौका दे सकती है और इन तीनों के राजनैतिक इतिहास की बात करे तो
खींवसर उपचुनाव में भाजपा से रेवंतराम डांगा का नाम सबसे आगे है। डांगा ने 2023 विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को जबरदस्त टक्कर दी थी। मात्र 2069 वोटों के नजदीकी अंतर से हार गए थे।
तो वही खींवसर में उपचुनाव के लिए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा का नाम भी चर्चा में है। ज्योति लोकसभा चुनाव में हार गई थीं। वे खींवसर विधानसभा में हनुमान बेनीवाल से 7 हजार वोटों से पीछे रहीं।
और वही डॉ. हापुराम चौधरी भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं। वे लंबे समय से पार्टी से टिकट मांग रहे हैं। पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार को लेकर यदि बात की जाए तो के संभावित उम्मीदवार रघुवेंद्र मिर्धा , बिंदु चौधरी का नाम सामने आ रहा है
रघुवेंद्र मिर्धा : पार्टी में प्रदेश सचिव हैं। कांग्रेस के पूर्व मंत्री और नागौर विधायक हरेंद्र मिर्धा के बेटे हैं। वहीं कांग्रेस के कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा के पोते हैं।
बिंदु चौधरी : रघुवेंद्र के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो पूर्व जिला प्रमुख बिंदु चौधरी को पार्टी प्रत्याशी बना सकती हैं। बिंदु चौधरी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थी।
और जैसा की हम बात कर रहे थे त्रिकोणीय मुकाबले की तो आरएलपी के संभावित उम्मीदवार की तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से हनुमान बेनीवाल अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बना सकते हैं। इसके अलावा 2019 की तरह हनुमान एक बार फिर अपने भाई पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल को भी मौका दे सकते हैं।

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