माता का एक ऐसा मंदिर जिनके आगे पाकिस्तानी ब्रिगेडियर भी नतमस्तक हो गया था ये बात हैं जैसलमेर स्थित 1250 वर्ष पुराने मां तनोटराय मंदिर की....
बताया जाता है कि मामडिया चारण की पुत्री देवी आवड़ को तनोट माता के रूप में पूजा जाता है....पुराने चारण साहित्य के अनुसार तनोट माता, हिंगलाज माता की अवतार हैं...जिनका प्रसिद्ध मंदिर बलूचिस्तान (पाकिस्तान) में है। भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने विक्रम सवंत 828 में तनोट का मंदिर बनवाकर मूर्ति को स्थापित किया था। भाटी और जैसलमेर के पड़ोसी क्षेत्रों के लोग तनोट माता की पूजा करते हैं।
राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर का तनोट माता मंदिर न सिर्फ हिंदू धर्मावलंबियों बल्कि हर भारतीय के दिल में खास स्थान रखता है। भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी कई यादें इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं। भारतीय सेना का भी इस मंदिर से गहरा संबंध बताया जाता है। सरहद पर बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र के साथ-साथ भारत-पाक के 1965 व 1971 के युद्ध का मूक गवाह भी रहा है।
भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान का वाकया कुछ ऐसा था- इतिहास गवाह है कि एक तरफ तो भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के तोप से बम बरसाए जा रहे थे....तो वहीं दूसरी तरफ तनोट की रक्षा के लिए मेजर जय सिंह की कमांड में ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की दो कंपनियां दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी। 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना की तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम से भी इस मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुआ। यहां तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं। हालांकि माता के बारे में कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय सैनिक समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा।
साथ ही 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में एक दिलचस्प वाकया भी सामने आया था। जब 1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान खुद नतमस्तक हो गया था। इसके बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान तनोट राय माता मंदिर के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी। करीब ढाई साल बाद उसे माता के दर्शन की अनुमति मिली। इसके बाद शाहनवाज खान ने माता की प्रतिमा के दर्शन किए और मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया, जो आज भी मंदिर में मौजूद है।
क्यों करते हैं बीएसएफ के जवान तनोट माता की पूजा ?
हालांकि अब बीएसएफ ने यहां अपनी चौकी बनाई है।बीएसएफ के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। मंदिर की सफाई से लेकर पूजा-अर्चना और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने तक का सारा काम अब बीएसएफ बखूबी निभा रही है। बीएसएफ ने यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं भी जुटा रखी है। इतना ही नहीं देश-प्रदेश के बड़े राजनेता भी इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं। चुनाव के दौरान अक्सर नेता आकर जीत के लिए मां से प्रार्थना करते हैं। प्रदेश के सीएम भजनलाल शर्मा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी कई बार माता के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं।
गौरतलब है कि अभी नवरात्रि होने के चलते तनोट माता के मंदिर में सेवा पूजा और भंडारा 9 दिन तक बीएसएफ के जवान ही करते हैं। ऐसे में माता के मंदिर में गुरुवार को सुबह सवा 6 बजे घट स्थापना की गई। इस दौरान मंदिर के पुजारी कुंदन मिश्रा ने बताया कि 9 दिन तक नवरात्र में यहां देवी के दर्शन करने वालों की कतारें लगती हैं। बम वाली देवी तनोट माता को लेकर सेना के जवानों की मान्यता है कि यह सरहद की रक्षा करती है। सेना की ओर से यहां 9 दिन तक भंडारा किया जाएगा। भंडारे में पूड़ी-सब्जी, हलवा व दाल-चावल बनते हैं। वहीं BSF के जवान वर्दी में ही श्रद्धालुओं को प्रसाद सर्व करते हैं। साथ ही आरती में भी BSF के जवान वर्दी में रहते हैं। पुजारी भी BSF द्वारा ही नियुक्त किया जाता है।
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