31 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी पर होगा अभ्यंग स्नान

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली, नरक निवारण चतुर्दशी अथवा काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस एक दिन बाद नरक चौदस या नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इसी दिन छोटी दीपावली भी मनाई जाती है। ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस साल नरक चतुर्दशी की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 01:16 मिनट पर हो रही है और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर में 03:53 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक, नरक चतुर्दशी का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा.


ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने माता अदिति के आभूषण चुराकर ले जाने वाले निशाचर नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। परंपरा में इसे शारीरिक सज्जा और अलंकार का दिन भी माना गया है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में हल्दी, चंदन, सरसो का तेल मिलाकर उबटन तैयार कर शरीर पर लेप कर उससे स्नान कर अपना रूप निखारेंगी। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि। दीपावली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।


ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, माता काली और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है। कहते हैं नरक चतुर्दशी पर दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। नरक चतुर्दशी की पूजा अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए की जाती है। नरक चतुर्दशी से अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। इस बार नरक चतुर्दशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं। 



चतुर्दशी तिथि

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ -30 अक्टूबर दोपहर 01:16 बजे से

चतुर्दशी तिथि समाप्त – 31 अक्टूबर दोपहर 03:53 बजे तक

नरक चतुर्थी के दिन रूप निखारा जाता है, जिसके लिए प्रात: काल स्नान की परंपरा है। इसलिए उदया तिथि को देखते हुए नरक चतुर्दशी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 


अभ्यंग स्नान 

ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय के पूर्व शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करने की प्रक्रिया को अभ्यंग स्नान कहा जाता है। इस बार अभ्यंग स्नान का समय 31 अक्टूबर को सुबह 05:28 मिनट से 06:41 मिनट तक है।


पौराणिक कथा

ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार बलि नाम का एक पराक्रमी राक्षसों का राजा था। वह 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर उसके पास गए और उससे तीन पग धरती दान में मांग ली। बलि ने दान देना स्वीकार किया। तब भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया। तब राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की ‘आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरा संपूर्ण राज्य नाप लिया। इसलिए जो व्यक्ति चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए। भगवान वामन ने बलि की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली। तभी से नरक चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।


पूजा विधि

ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है। घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजन करें। देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें।

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