"27 साल से फरार! कहाँ गायब हो गया राजस्थान का 'बलात्कारी' डीआईजी?"

क्या एक ऐसा अधिकारी, जो किसी राज्य के पुलिस महकमे का उच्च अधिकारी हो, सालों से फरार रह सकता है? जवाब है—हाँ। मधुकर टंडन की कहानी बस एक मिसाल है, लेकिन ऐसी घटनाएँ देश की न्याय व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती हैं। मधुकर टंडन, जो राजस्थान में डीआईजी के पद पर थे, 1997 में दुष्कर्म के गंभीर आरोप के बाद से आज तक फरार हैं। इस घटना ने पूरे देश में हलचल मचाई थी।

ख़बर को सुनकर दंग रह जाएंगे। यह कहानी एक ऐसे आईपीएस अधिकारी की है जो पिछले सत्ताईस सालों से फरार है। जी हां, आप सही सुन रहे हैं—राजस्थान के डीआईजी रैंक के अधिकारी मधुकर टंडन, 1997 के बाद से आज तक लापता हैं। न पुलिस उन्हें पकड़ पाई, न उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हो पाई। मानो उन्हें जमीन खा गई या आसमान निगल गया। तो आखिर यह मामला है क्या?

सिलसिलेवार जानते हैं:

जनवरी 1997 की बात है, जब दौसा जिले की एक आदिवासी महिला ने आरोप लगाया कि राजस्थान के तत्कालीन डीआईजी मधुकर टंडन ने नोएडा स्थित उनके आवास पर उसके साथ बलात्कार किया। महिला का पति, जो खुद राजस्थान पुलिस में सिपाही था और डीआईजी के सहायक के रूप में कार्यरत था, इस घटना के बाद अपनी पत्नी के साथ खड़ा रहा। उसने आरोप लगाया कि मामला दर्ज कराने के बाद न केवल कार्रवाई रोकी गई, बल्कि उसे नौकरी से निकालने की धमकी भी दी गई। पीड़ित का पति दावा करता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पैसे लेकर मामला रफा-दफा करने का दबाव बना रहे थे, और जब उसने इनकार किया, तो उसे कई बार प्रताड़ित भी किया गया।

21 जनवरी 1997 को इस बलात्कार की घटना के बाद, नोएडा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। लेकिन राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी मधुकर टंडन, जो राजनीतिक और नौकरशाही हलकों में अच्छी पकड़ रखते थे, अपने रसूख का इस्तेमाल कर गायब हो गए।

अजीब फरारी:

टंडन की यह फरारी भी कम चौंकाने वाली नहीं थी। एक ओर पुलिस उन्हें खोज नहीं पा रही थी, तो दूसरी ओर, वह खुद जयपुर आकर अपनी संपत्तियों का सौदा कर रहे थे। हनुमान नगर में 1,500 वर्ग फुट का एक प्लॉट, अजमेर रोड पर 10 बीघा का फार्महाउस और वैशाली नगर में एक प्लॉट—इन संपत्तियों को बेचने के दौरान टंडन एक आईपीएस अधिकारी के बंगले में ठहरे थे, ऐसा भी बताया जाता है।

टंडन को 2002 में निलंबित किया गया, यानी एफआईआर दर्ज होने के पांच साल बाद। दौसा की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उनकी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया, जिनमें नोएडा स्थित उनका घर भी शामिल था। पर, नोएडा पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

राजनीतिक दांव-पेच और अधूरा न्याय:

भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के दौरान यह मामला सामने आया था, और तब इसे 1998 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के घोषणापत्र में प्रमुखता दी गई। कहा गया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई, तो टंडन की संपत्ति जब्त की जाएगी। पर, 2008 में कांग्रेस के सत्ता में लौटने के बाद भी इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई।

राज्य के गृह मंत्री शांति धारीवाल ने हाल ही में आश्वासन दिया कि वे इस मामले की जांच करेंगे। उन्होंने कहा, "मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी, क्योंकि यह विभाग मेरे अधीन नहीं था। अब जब मुझे इस मामले के बारे में पता चला है, मैं इसे ज़रूर उठाऊंगा और जांच करूंगा कि आरोपी को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।"

न्याय की आस में दर-दर भटकते रहे पीड़ित पति-पत्नी :

सिपाही की पत्नी के साथ बलात्कार के आरोप में मधुकर टंडन पिछले 18 सालों से फरार हैं। पुलिस ने राजस्थान और दिल्ली में कई जगह छापेमारी की, और 2010 में उस पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया गया, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. मधुकर टंडन पर अपने गनमैन हेड कांस्टेबल ख्यालीराम की पत्नी का अपहरण और बलात्कार करने का आरोप है। ख्यालीराम और उसकी पत्नी आज भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जब यह मामला सामने आया था, तब राज्य में भाजपा सरकार थी। डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। उन्होंने पीड़िता को जयपुर लाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत से मिलवाया, जिन्होंने टंडन को निलंबित कर दिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया।

पुलिस ने अपहरण में इस्तेमाल की गई कार भी बरामद कर ली। चूंकि बलात्कार की घटना नोएडा में हुई थी, इसलिए नोएडा पुलिस में भी एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन, पुलिस अधिकारी टंडन का ठिकाना कोई रहस्य नहीं था, फिर भी वारंट जारी करने और उसे गिरफ्तार करने में असफल रही।

आज भी सवाल वही है—कहां हैं डीआईजी मधुकर टंडन? क्या देश की पुलिस कभी उस अधिकारी को पकड़ पाएगी, जिस पर इतना संगीन आरोप लगा है?

रात चाहे कितनी भी गहरी हो, सुबह तो आनी है,

पर इस गुनाह की रात में, वो सुबह कब तक दूर है|

Post a Comment

0 Comments

ARwebTrack